मऊगंज गड़रा दोहरे हत्याकांड: पुलिस पर हमले की पटकथा 28 फरवरी को ही लिखी जा चुकी थी
मऊगंज गड़रा दोहरे हत्याकांड: पुलिस पर हमले की पटकथा 28 फरवरी को ही लिखी जा चुकी थी
मऊगंज गड़रा दोहरे हत्याकांड: पुलिस पर हमले की पटकथा 28 फरवरी को ही लिखी जा चुकी थी
मऊगंज, मध्यप्रदेश। बीते कुछ दिनों से मध्यप्रदेश का मऊगंज जिला लगातार सुर्खियों में है।
मध्यप्रदेश-/मऊगंज 15 मार्च को जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में जो कुछ हुआ, उसने पुलिस प्रशासन से लेकर पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। दोहरे हत्याकांड और पुलिस पर हुए हमले की जड़ें कहीं ज्यादा गहरी हैं, और इसकी शुरुआत 28 फरवरी को ही हो चुकी थी। पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि इस पूरी साजिश का मास्टरमाइंड रफीज मोहम्मद था, जिसे अंततः हिरासत में ले लिया गया है।
गड़रा कांड: घटनाक्रम का पूरा सिलसिला
इस पूरी घटना को समझने के लिए हमें 28 फरवरी की घटनाओं तक जाना होगा। शाहपुर थाना क्षेत्र के ठुर्रीहा ग्राम पंचायत में मोहम्मद रहीस सहायक सचिव के पद पर कार्यरत था। 27 फरवरी को उसने अपने ही भाई की पत्नी के साथ दुष्कर्म किया, जिसकी रिपोर्ट पीड़िता ने पुलिस में दर्ज कराई। थाना प्रभारी संदीप भारती और एएसआई अजय पांडेय ने तुरंत कार्रवाई करते हुए महज 24 घंटे के भीतर आरोपी रहीस को गिरफ्तार कर लिया।
लेकिन यहां से कहानी ने नया मोड़ लिया। रहीस का भाई रफीज मोहम्मद, जो खुद को पत्रकार बताता था, पुलिस पर दबाव बनाने में जुट गया। उसने अपने समर्थकों के साथ थाने पहुंचकर थाना प्रभारी और एएसआई के खिलाफ षड्यंत्र रचने की कोशिश की, यहां तक कि उन पर झूठे आरोप लगाने की धमकी भी दी। पुलिस को उसी समय यह अंदाजा हो गया था कि रफीज किसी बड़ी साजिश की तैयारी कर रहा है।
पुलिस पर हमले की योजना पहले से तैयार थी
पुलिस को पहले ही जानकारी मिल गई थी कि रफीज पुलिस पर हमला करने की फिराक में था। थाना प्रभारी ने अपने स्टाफ को सतर्क कर दिया था कि कोई भी पुलिसकर्मी अकेले या बाइक पर पहाड़ी क्षेत्र में न जाए, बल्कि हमेशा पुलिस वाहन और पर्याप्त बल के साथ ही जाए। इस सख्ती के चलते रफीज अपने मंसूबों में तब सफल नहीं हो सका, लेकिन होली के मौके पर उसे मौका मिल ही गया।
15 मार्च: जब गड़रा में दोहरी हत्या हुई
15 मार्च की सुबह से ही रफीज गड़रा गांव में सक्रिय था। जब विनोद कोल और उसके समर्थकों ने सनी को बंधक बनाया, तब भी रफीज वहीं मौजूद था और पूरी घटना का वीडियो बना रहा था। बाद में सनी को घर के अंदर ले जाकर लाठियों से पीट-पीटकर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई।
जब पुलिस मौके पर पहुंची, तब भी रफीज वहीं मौजूद था। थाना प्रभारी संदीप भारती ने जब उससे वहां होने का कारण पूछा, तो उसने बहाना बनाकर मौके से भागने की कोशिश की। लेकिन पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि पूरी साजिश के पीछे रफीज का ही हाथ था।
पुलिस पर हमला: सुनियोजित षड्यंत्र
जब पुलिस टीम गड़रा गांव पहुंची, तो भीड़ पहले से ही उग्र थी। अचानक पुलिस पर पथराव शुरू हो गया, जिसमें थाना प्रभारी संदीप भारती गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके सिर में 18 टांके आए, जबकि प्रधान आरक्षक अंकित शुक्ल के सिर में 8 टांके लगे। तहसीलदार कुमारेलाल पनिका और कई अन्य पुलिसकर्मी भी इस हमले में घायल हुए।
पुलिस जांच में सामने आया कि यह हमला पूरी तरह से योजनाबद्ध था, जिसे रफीज मोहम्मद ने ही अंजाम तक पहुंचाया।
रफीज मोहम्मद गिरफ्तार, अन्य आरोपी भी हिरासत में
पुलिस ने इस मामले में मास्टरमाइंड रफीज मोहम्मद के अलावा अशोक कोल के दोनों बेटे विनोद और रजनीश कोल, महेश कोल, प्रयाग कोल, सरपंच कैलाश तिवारी और पूर्व सरपंच रामकरण साकेत को हिरासत में लिया है। इनके मोबाइल कॉल डिटेल की जांच की जा रही है ताकि इस पूरे षड्यंत्र में शामिल अन्य लोगों का भी पता लगाया जा सके।
बदले की आग में जला गड़रा गांव
इस पूरे घटनाक्रम की जड़ अशोक कोल की मौत से जुड़ी थी। पुलिस ने पहले ही उसकी मौत को दुर्घटना करार दिया था, लेकिन उसके बेटे विनोद को यह विश्वास दिलाया गया कि उसके पिता की हत्या सनी ने की थी। इसी बदले की आग में उसने अपने भाई रजनीश और अन्य समर्थकों के साथ मिलकर सनी की हत्या कर दी।
अब क्या आगे?
गड़रा गांव इस वक्त पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका है। पुलिस ने इस पूरे हत्याकांड की गहन जांच शुरू कर दी है। अब यह देखना होगा कि इस घटना के पीछे और कितने लोगों की संलिप्तता सामने आती है और क्या प्रशासन इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाता है।
निष्कर्ष
गड़रा दोहरे हत्याकांड और पुलिस पर हमले की साजिश 28 फरवरी को ही रची जा चुकी थी। रफीज मोहम्मद ने अपने भाई की गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए पुलिस पर हमला करने की योजना बनाई थी, जिसे वह अंततः 15 मार्च को अंजाम तक पहुंचाने में सफल रहा। लेकिन अब पुलिस ने न केवल उसे गिरफ्तार कर लिया है, बल्कि पूरे घटनाक्रम की तह तक जाने के लिए जांच को तेज कर दिया है। इस घटना ने एक बार फिर कानून व्यवस्था और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। -सूत्र