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RTO कार्यालय के बाहर बैठे दलालों की कतारें: जनता परेशान, जिम्मेदार अंजान…

RTO कार्यालय के बाहर बैठे दलालों की कतारें: जनता परेशान, जिम्मेदार अंजान...

RTO कार्यालय के बाहर बैठे दलालों की कतारें: जनता परेशान, जिम्मेदार अंजान…

रिपोर्टर बुद्धिमान जायसवाल

प्रदेश टुडे संवाददाता सिंगरौली जिले के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के बाहर इन दिनों दलालों की भीड़ ने आम जनता का जीना दूभर कर दिया है। वाहन पंजीकरण, लाइसेंस प्राप्ति और अन्य परिवहन संबंधी सेवाओं के लिए कार्यालय पहुंचने वाले लोगों को एक अलग ही मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। सूत्र बताते हैं कि पहले से ही लंबी कागजी प्रक्रियाओं और सरकारी दफ्तरों की सुस्ती से जूझ रही जनता अब इन दलालों के कारण और भी अधिक असुविधा महसूस कर रही है।

 

दलालों का बोलबाला, आम जनता हताश…

 

RTO कार्यालय के बाहर जैसे ही कोई आम आदमी या महिला प्रवेश करती है, दलालों का झुंड उस व्यक्ति को घेर लेता है। ये दलाल विभिन्न सेवाओं के लिए मनमाने दाम वसूलते हैं। वाहन पंजीकरण से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने तक की हर सेवा के लिए इनका एक निश्चित ‘रेट कार्ड’ है। आम जनता, जो पहले से ही इन प्रक्रियाओं की जटिलता से परेशान होती है, इन दलालों के चंगुल में फंसने पर मजबूर हो जाती है। लोगों का आरोप है कि यदि वे दलालों की मदद नहीं लेते, तो उनका काम महीनों तक लटका दिया जाता है।

 

सरकारी अधिकारियों की भूमिका पर सवाल..?

 

यह स्थिति यहीं समाप्त नहीं होती। सबसे गंभीर बात यह है कि इन दलालों के दफ्तर के बाहर खुलेआम काम करने के बावजूद RTO अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। सूत्र की माने तो अधिकारी या तो इस पूरी प्रक्रिया से अंजान बने हुए हैं या फिर जानबूझकर इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। दलालों की इस गतिविधि में अधिकारियों की मिलीभगत की बात भी जोर पकड़ रही है, क्योंकि दलाल केवल तब ही इतने सक्रिय हो सकते हैं जब उन्हें अंदर से समर्थन प्राप्त हो।

 

जानता के समय और पैसे की बर्बादी…?

 

RTO कार्यालय आने वाले लोगों ने नाम ना बताने के शर्त पर जानकारी निकली की वे यहां समय पर पहुंचकर भी दलालों के कारण घंटों इंतजार करने को मजबूर होते हैं। आम जनता को न केवल मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी होता है। जो काम सामान्य प्रक्रिया से कुछ सौ रुपए में हो सकता है, वह काम दलालों की मदद से हजारों रुपए तक का खर्चा बढ़ा देता है। इससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है।

 

ऑनलाइन प्रक्रियाओं का भी नहीं हो रहा सही उपयोग…

 

सरकार ने भले ही कई प्रक्रियाओं को ऑनलाइन कर दिया है, जिससे लोगों को घर बैठे ही सेवाएं मिल सकें। लेकिन सिंगरौली RTO कार्यालय के मामले में यह सुविधा भी काम नहीं आ रही है। दलालों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी लोगों को दलालों की मदद लेनी पड़ती है। यह पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।

 

जानता ने कहा कि स्थानीय नेताओं और प्रशासन की निष्क्रियता…

 

इस मुद्दे पर स्थानीय नेताओं और प्रशासन की निष्क्रियता भी चिंता का विषय है। जहां जनता दलालों के आतंक से त्रस्त है, वहीं इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। क्षेत्रीय प्रशासन भी केवल आश्वासन देता है, लेकिन धरातल पर कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा है।

 

जानता देख रही समाधान की राह…

 

समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि RTO कार्यालय के बाहर दलालों की गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और जनता की समस्याओं को गंभीरता से लेना होगा। ऑनलाइन सेवाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन और लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाना भी महत्वपूर्ण होगा। यदि यह स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहती है, तो सिंगरौली की आम जनता का भरोसा सरकारी तंत्र से पूरी तरह उठ सकता है…?

 

सिंगरौली RTO कार्यालय में दलालों की बढ़ती सक्रियता, एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसका शीघ्र समाधान जरूरी है। जनता उम्मीद कर रही है कि प्रशासन जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगा और उन्हें इस कठिन परिस्थिति से निजात दिलाएगा।

 

इन सभी मामलों को लेकर जिला परिवहन अधिकारी से मोबाईल फोन से संपर्क करेंने की कोशिश की गई लेकिन उनका मोबाईल फ़ोन कवरेज क्षेत्र से बाहर बता रहा था…

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